IAS Success Story: विपरीत परिस्थितियों में मिली सफलता की अनोखी दास्तान – Ritika Jindal

Divya Singh
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IAS Success Story Ritika Jindal

एक संघर्ष की शुरुआत

हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन कुछ लोग उन कठिनाइयों के आगे घुटने टेक देते हैं, जबकि कुछ लोग उन्हें एक चुनौती मानकर जीवन में आगे बढ़ते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ पंजाब की रहने वाली Ritika Jindal के साथ, जिनकी कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह साबित करती है कि असली सफलता उन्हीं को मिलती है जो कठिन समय में भी हार नहीं मानते।

Ritika Jindal ने बेहद कम उम्र में वो कर दिखाया जो कई लोग अपने जीवन भर के संघर्ष के बाद भी नहीं कर पाते। UPSC परीक्षा में 88वीं रैंक हासिल करके, उन्होंने न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया बल्कि यह भी साबित किया कि अगर आपके मन में कुछ करने का दृढ़ विश्वास हो, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

Ritika Jindal का जन्म और पालन-पोषण पंजाब के एक छोटे से शहर में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी उसी छोटे शहर में हुई, लेकिन उनकी पढ़ाई की ललक और उनकी प्रतिभा ने उन्हें जल्द ही अपने दोस्तों और शिक्षकों के बीच एक अलग पहचान दिला दी। रितिका बचपन से ही पढ़ाई में बेहद होशियार थीं और हर कक्षा में उन्होंने शीर्ष स्थान हासिल किया।

12वीं कक्षा में उन्होंने न केवल अपने स्कूल बल्कि पूरे उत्तरी भारत में टॉप किया था। यह सफलता उनके लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी, जिसने उनके आत्मविश्वास को और भी बढ़ाया। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से तीसरी रैंक हासिल की और ग्रेजुएशन पूरी की।

UPSC की ओर कदम

Ritika Jindal की हमेशा से ही IAS बनने की ख्वाहिश थी। उनके अंदर बचपन से ही कुछ बड़ा कर दिखाने का सपना था, और इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने ग्रेजुएशन के साथ ही UPSC की तैयारी शुरू कर दी थी। उनके लिए यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उनकी दृढ़ निश्चयता और मेहनत ने उन्हें इस कठिन परीक्षा के लिए तैयार किया।

ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने पहली बार UPSC की परीक्षा दी। इस पहले प्रयास में उन्होंने प्रीलिम्स परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन अंतिम चरण में कुछ अंक से पीछे रह गईं। हालांकि, इस असफलता ने उन्हें निराश नहीं किया, बल्कि उन्होंने इसे एक सीख के रूप में लिया और अगले प्रयास की तैयारी में जुट गईं।

पारिवारिक कठिनाइयाँ और संघर्ष

जब Ritika UPSC की तैयारी कर रही थीं, तब उनके जीवन में एक बहुत बड़ा संकट आया। उन्हें पता चला कि उनके पिता को कैंसर हो गया है। इस खबर ने पूरे परिवार को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया। रितिका, जो अपने पिता से बेहद अटैच्ड थीं, उनके लिए यह समय बेहद कठिन था। पहले उनके पिता को ओरल कैंसर था, जो जैसे-तैसे ठीक हुआ, लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें लंग कैंसर हो गया।

Ritika के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण थी। उनका परिवार एक छोटे से शहर में रहता था, जहाँ चिकित्सा सुविधाओं की कमी थी। जब-जब उनके पिता की तबियत बिगड़ती, उन्हें कई किलोमीटर का सफर तय करके लुधियाना के अस्पताल ले जाना पड़ता। इस स्थिति में, रितिका के लिए UPSC की तैयारी करना आसान नहीं था। एक ओर पिता की देखभाल की जिम्मेदारी और दूसरी ओर जीवन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य – दोनों के बीच संतुलन बनाना किसी के लिए भी आसान नहीं होता, लेकिन रितिका ने हार नहीं मानी।

दूसरी बार में मिली सफलता

रितिका ने अपनी कठिनाइयों को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने अपनी पढ़ाई में पूरी ताकत झोंक दी और दूसरा प्रयास देने का निर्णय लिया। इस बार उन्होंने UPSC की परीक्षा में 88वीं रैंक हासिल की। यह सफलता न सिर्फ उनकी मेहनत का परिणाम थी, बल्कि यह उनके उस अटूट विश्वास की भी जीत थी जो उन्होंने खुद में बनाए रखा था। उस समय उनकी उम्र महज 22 साल थी।

रितिका की इस सफलता ने न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि उनके पूरे समाज को गर्वित कर दिया। उनके इस सफर से यह संदेश मिलता है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर आप दृढ़ संकल्प और मेहनत से काम करते हैं, तो कोई भी बाधा आपको सफल होने से नहीं रोक सकती।

माता-पिता के सपने को पूरा किया

रितिका के माता-पिता का सपना था कि उनकी बेटी समाज की सेवा करे और एक सफल अधिकारी बने। जब रितिका अपनी ट्रेनिंग पर थीं, तब उनके माता-पिता दोनों ही इस दुनिया से विदा हो गए। उनके पिता की मौत कैंसर के कारण हुई, और पिता की मौत के दो महीने के अंदर ही उनकी मां की भी कैंसर के कारण मृत्यु हो गई। इस कठिन समय में भी रितिका ने अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन किया।

रितिका बताती हैं कि उनके माता-पिता हमेशा उन्हें प्रेरित करते थे और उनके सपनों को साकार करने के लिए हमेशा उनका साथ देते थे। उनके माता-पिता की मृत्यु के बाद भी रितिका ने हिम्मत नहीं हारी और अपने कर्तव्यों को निभाते हुए अपने सपनों को साकार किया।

सफलता के पीछे का मंत्र

रितिका की सफलता की कहानी से यह सीख मिलती है कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अगर आप अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है। उनकी यह यात्रा हमें यह भी सिखाती है कि असफलता से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि इसे एक सीख के रूप में लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

उनकी इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता का आशीर्वाद, उनकी मेहनत और उनके दृढ़ निश्चय का हाथ है। रितिका का यह संघर्ष और उनकी यह सफलता न सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं।

समाज के लिए संदेश

रितिका जिंदल की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि अगर आपके अंदर दृढ़ संकल्प है और आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरी मेहनत से जुटे रहते हैं, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। उनकी यह सफलता उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो जीवन में आने वाली कठिनाइयों के आगे हार मान लेते हैं।

रितिका का यह सफर यह बताता है कि अगर आप अपने सपनों के प्रति ईमानदार हैं और अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए समर्पित हैं, तो आप जीवन में किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। उनकी यह यात्रा न सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं।

निष्कर्ष

Ritika Jindal की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि कठिन समय में भी अगर आप मेहनत और समर्पण से काम करते हैं, तो कोई भी बाधा आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। उनकी यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि असफलता से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि इसे एक सीख के रूप में लेकर आगे बढ़ना चाहिए। रितिका ने अपने माता-पिता के सपने को पूरा किया और समाज के लिए एक मिसाल बन गईं। उनकी यह यात्रा उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं।

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